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Kigali Agreement Drishti Ias Hindi

The Kigali Agreement and Its Implications for India: Explained in Hindi by Drishti IAS

भारत जैसी देशों के लिए अविश्वसनीय वातावरणीय परिवर्तन की समस्याओं से निपटने का मुद्दा अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है। वातावरणीय परिवर्तन के कारण जीवन जीने की क्षमता और संसाधनों की उपलब्धता में भारी कमी हो रही है। इन समस्याओं से निपटने के लिए, परिणामस्वरूप विश्व भर में संबद्ध देशों ने इकट्ठे होकर एक समझौता पर हस्ताक्षर किया है, जो “किगाली समझौता” के नाम से जाना जाता है।

जनवरी २०१६ में पहली बार, विश्व स्तर पर वातावरणीय ग्रीनहाउस गैसों के उत्पादन को नियंत्रित करने के माध्यम से ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए एक समझौता हस्ताक्षर किया गया था। इस समझौते को किगाली समझौता के रूप में जाना जाता है। यह समझौता विश्व के सभी १९७ देशों द्वारा समर्थित है।

इस समझौते के अनुसार, विश्व भर में वातावरणीय ग्रीनहाउस गैसों के उत्पादन पर प्रतिबन्ध लगाए जाने का लक्ष्य है। इसके अलावा, विकासशील देशों को अनुपातिक भुगतान के माध्यम से सहायता प्रदान की जाएगी ताकि वे विकास के साथ-साथ समान रूप से वातावरण की रक्षा भी कर सकें।

किगाली समझौते के अनुसार, २०१९ के बाद संभवतः अंतरराष्ट्रीय उद्योगों द्वारा वातावरणीय ग्रीनहाउस गैसों के उत्पादन के लिए निर्धारित सीमाओं का पालन करना होगा। इसके अलावा, संभवतः विकासशील देशों को ग्रीन क्लीन डेवलपमेंट में सहायता प्रदान की जाएगी।

भारत के लिए, इस समझौते का मुख्य लाभ वित्तीय हो सकता है। भारत एक विकासशील देश है जो वातावरणीय संकटों से आत्मसमर्पण कर रहा है। किगाली समझौते में भारत का योगदान अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है। भारत को निर्धारित सीमाओं का पालन करने के लिए समझौते के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने के माध्यम से प्रयास करना होगा।

Drishti IAS एक विद्यार्थी के सहायता केन्द्र है जो भारत में सिविल सेवा की तैयारी करने वाले छात्रों को सहायता प्रदान करता है। Drishti IAS ने किगाली समझौते के बारे में संपूर्ण जानकारी हिंदी में प्रदान की है। इसे पढ़कर, आप भारत के लिए किगाली समझौते के महत्व को समझ सकते हैं और इसकी विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

अधिक जानकारी के लिए, Drishti IAS की वेबसाइट पर जा सकते हैं और उनके फेसबुक पेज को लाइक कर सकते हैं।